जिन्हें नाज़ है हिंद पे वो कहाँ है ...
कहाँ है ... कहाँ है ???
ये कूचे ये नीलाम घर
दिलकशी के
ये लुटते हुए कारवां
जिन्दगी के
कहाँ हैं, कहाँ हैं मुहाफ़िज़ ख़ुदी के?
जिन्हें नाज़ है हिंद
पे वो कहाँ है ... कहाँ है ... कहाँ है ???
ये पुरपेंच गलियां, ये बेख़ाब बाज़ार
ये गुमनाम राही, ये सिक्कों की झंकार
ये इस्मत के सौदे, ये सौदों पे तकरार
जिन्हें नाज़ है हिंद
पे वो कहाँ है ... कहाँ है ... कहाँ है ???
तअफ्फ़ुन से पुर
नीमरोशन ये गलियां
ये मसली हुई अधखिली
ज़र्द किलयां
ये बिकती हुई खोकली
रंग रिलयां
जिन्हें नाज़ है हिंद
पे वो कहाँ है ... कहाँ है ... कहाँ है ???
वो उजाले दरीचों में
पायल की छन-छन
तनफ़्फ़ुस की उलझन
पे तबले की धन-धन
ये बेरूह कमरों में
खांसी की धन-धन
जिन्हें नाज़ है हिंद
पे वो कहाँ है ... कहाँ है ... कहाँ है ???
ये गूंजे हुए
क़ह-क़हे रास्तों पर
ये चारों तरफ़ भीड़
सी खिड़िकयों पर
ये आवाज़ें खींचते
हुए आंचलों पर
जिन्हें नाज़ है हिंद
पे वो कहाँ है ... कहाँ है ... कहाँ है ???
ये फूलों के गजरे, ये पीकों के छींटे
ये बेबाक नज़रें, ये गुस्ताख़ फ़िक़रे
ये ढलके बदन और ये
मदक़ूक़ चेहरे
जिन्हें नाज़ है हिंद
पे वो कहाँ है ... कहाँ है ... कहाँ है ???
ये भूकी निगाहें
हसीनों की जानिब
ये बढ़ते हुए हाथ
सीनों की जानिब
लपकते हुए पांव
ज़ीनों की जानिब
जिन्हें नाज़ है हिंद
पे वो कहाँ है ... कहाँ है ... कहाँ है ???
यहां पीर भी आ चुके
हैं जवां भी
तनूमन्द बेटे भी, अब्बा मियां भी
ये बीवी भी है और
बहन भी है, मां
भी
जिन्हें नाज़ है हिंद
पे वो कहाँ है ... कहाँ है ... कहाँ है ???
मदद चाहती है ये
हव्वा की बेटी
यशोदा की हमजिन्स
राधा की बेटी
पयम्बर की उम्मत
ज़ुलैख़ा की बेटी
जिन्हें नाज़ है हिंद
पे वो कहाँ है ... कहाँ है ... कहाँ है ???
ज़रा मुल्क के
राहबरों को बुलाओ
ये कूचे ये गलियां
ये मन्ज़र दिखाओ
जिन्हें नाज़ है हिंद
पे उन को लाओ
जिन्हें नाज़ है हिंद
पे वो कहाँ है ... कहाँ है ... कहाँ है ???
- साहिर
लुधियानवी
सोनी सोरी,आरती माझी,हिड़मे,सीते,आइती और इन जैसी हजारों महिलाऔ को न्याय मिलना चाहिए ये अभी
जिन्दा हैं |
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