चंबल के बीहड़ों से संसद पहुँचने वाली फूलन देवी पर ब्रिटेन में आउटलॉ नाम की एक किताब प्रकाशित हुई है जिसमें उनके जीवन के कई पहलुओं पर चर्चा की गई है.फूलन देवी को मिली जेल की सज़ा के बारे में पढ़ने के बाद लेखक रॉय मॉक्सहैम ने 1992 में उनसे पत्राचार शुरु किया.
सांसद बनने से पहले फूलन देवी दस्यु सुंदरी के रूप में चर्चित थीं. उन पर आरोप था कि सामूहिक बलात्कार
का बदला लेने के लिए 1981 में एक जनसंहार में
ऊँची जाति के 22 लोगों को उन्होंने मौत
के घाट उतार दिया था.
फूलन ने 1983 में अधिकारियों के
समक्ष आत्मसमर्पण कर दिया था और उसके
बाद फ़रवरी 1994 तक वो जेल में
रहीं.बाद में वह दो बार लोकसभा के लिए चुनी iगईं.
लेकिन 2001 में केवल 38 साल की उम्र में दिल्ली में उनके घर के
सामने फूलन देवी की हत्या कर दी गई थी.
बीबीसी के साथ बातचीत में लेखक रॉय फूलन देवी के साथ अपनी दोस्ती को याद करते हुए कहते
हैं, "उन्होंने ज़िंदगी में
बहुत कुछ सहा लेकिन इसके
बावजूद फूलन देवी बहुत हँसमुख थी. वे हमेशा हुँसती रहती थी,
मज़ाक
करती रहती थीं हालांकि उन्होंने अपना बचपन ग़रीबी में गुज़ारा. मुझे लगता है कि वे ग़लत न्यायाकि
प्रक्रिया का शिकार हुईं. उन्हें नौ साल जेल
में बिताने पड़े."
'ग़रीबों के लिए दिल
धड़कता था'
उन्होंने ज़िंदगी में बहुत कुछ सहा लेकिन इसके बावजूद फूलन देवी बहुत हँसमुख थी.
वे हमेशा हुँसती रहती थी, मज़ाक करती रहती थीं हालांकि उन्होंने अपना
बचपन ग़रीबी में गुज़ारा. मुझे लगता
है
कि वे ग़लत न्यायाकि प्रक्रिया का शिकार हुईं. उन्हें नौ साल जेल में बिताने पड़े
रॉय मैक्सहैम कहना था कि "उनकी ज़िंदगी पर निर्देशक शेखर कपूर ने बैंडिट क्वीन नाम की फ़िल्म बनाई थी.लेखक रॉय
मॉक्सहैम कहते हैं, "वो फ़िल्म दिखाती है कि फूलन देवी हत्याओं में
शामिल थी लेकिन उन्होंने हमेशा इस बात
से
इनकार किया है और मैं उन पर यकीन करता हूँ."
फूलन देवी की शख़्सियत के बारे में वे बताते हैं, दरअसल फूलन का दिल ग़रीबों के लिए
धड़कता था. जब वो जेल में थीं तो इस बात का
इंतज़ाम करवाती थीं कि उनका खाना स्मगल किया जा सके ताकि वो खाना उनके घर के ग़रीब सदस्यों को मिले.
रॉय मॉक्सहैम कहते हैं कि जेल से रिहा होने के बाद जब फूलन
देवी सांसद बन गई तो उनमें अन्य नेताओं वाले कोई नाज़ नखरे नहीं थे.
रॉय का कहना है, एक बार मैं उनके घर गया
तो वे अपना फ़्लैट ख़ुद
साफ़ कर रही थीं क्योंकि उन्होंने नौकर रखने से इनकार कर दिया था. उनका करिश्माई व्यक्तिव था- एक
ऐसी हस्ती जो किसी कमरे में घुसते ही लोगों का ध्यान
खींच सकती थी.
वे कहते हैं कि इस बात में कोई शक़ नहीं कि फूलन देवी एक हीरो
थीं.
- रॉय मैक्सहैम